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उसके बिना तड़पते ही रहोगे || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

2019-11-29 5 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१३ अप्रैल २०१४,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />भजन:<br />राम बिनु तन को ताप न जाई<br />राम बिनु तन को ताप न जाई<br />जल में अगन रही अधिकाई<br />राम बिनु तन को ताप न जाई<br /><br />तुम जलनिधि मैं जलकर मीना<br />जल में रहहि जलहि बिनु जीना<br />राम बिनु तन को ताप न जाई<br /><br />तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा<br />दरसन देहु भाग बड़ मोरा<br />राम बिनु तन को ताप न जाई<br /><br />तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला<br />कहै कबीर राम रमूं अकेला<br />राम बिनु तन को ताप न जाई<br /><br />प्रसंग:<br />कौन है जिसके बिना तुम तड़पते ही रहोगे?<br />इस प्रसंग के माध्यम से कबीर किस सच्चे गुरु की ओर इशारा कर रहे है?<br />अकेलापन क्या है?

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